2 years agoलम्हेलम्हे तुम कहते हो जल्दी ही, पर ये बता दो की, कितना दूर है ये जल्दी का होना। कितना छोटा है ये लंबा सफर, क्यों नहीं कट जाता, उतनी जल्दी…
2 years agoसचसच सच से सामना होता है कई बार जब खड़ी होती हूँ फुटपाथ पर , देखती हूँ, फटेहाल भीख मांगते बच्चे वहीं साथ खड़ी तन को ढकने की कोशिश करती…
2 years agoज़िन्दगी के नाम एक पत्रहेलो जिंदगी, अजीब हठी हो तुम, जैसा सोचो वैसा करती करती ही नहीं, कुछ और ही होता है तुम्हारे मन में, जब सोचो समुन्दर तो तुम पंहुचा देती हो खुले…
2 years agoइच्छाशक्तिइच्छाशक्ति जो रोक देता है, दौड़ने से, वो डर ही है, बाँध देता है अदृश्य रस्सी से, नहीं बढ़ते पैर रिवाज़ों, मज़बूरियों, रिश्तों नातों के आगे, नहीं रहती कुछ नया…
2 years agoदादी और सियादादी और सिया सिया को सुननी रोज़ कहानी, पर दादी करती आनाकानी। झपकी लेते ही दादी की, हटा देती वो मछरदानी पीं पीं करते मच्छर जब, झटपट उठती दादी, गुस्सा…
3 years agoगीतगीत कभी था पूर्णिमा से बेहद प्यार मुझे, अब आमावस की रात यूँ भाने लगी है। रोशनी में नहीं दिखते थे जो चेहरे अँधेरे में वे अब जगमगाने लगे…
3 years agoमेरा चाँदमेरा चाँद चाँद को ध्यान से देखना कभी, दो परछाईं दिखाई देंगी। हमेशा देखती थी मैं और समझ नहीं पाती थी कौन हैं ये दोनों। ये सिर्फ मुझे…
5 years agoसीढियाँसीढियाँ अजीब सी कहानी है , कहीं मध्य में जाकर जैसे ही समझ सी आने लगती है, एक नया मोड़ आ जाता है। रास्ते बदल जाते हैं, पुराने किरदार…